दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
खरीद लाये थे कुछ सवालों का जवाब ढूढ़ने।
वो लम्हे याद करता हूँ तो लगते हैं अब जहर से।
मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है,
अगर मोहब्बत से पेश आते तो न जाने क्या होता।
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले,
कौन फिरता है ज़मीं पे चाँद सा चेहरा लिए।
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा shayari in hindi हो नहीं सकता।
तेरे इशारों पर मैं नाचूं क्या जादू ये तुम्हारा है,
जिंदगी के एक झोंके से सारे पन्ने पलट गए,
मुझे छोड़ने का फैसला तो वो हर रोज करता है,
सूरज की तरह तेज मुझमें मगर मैं ढलता रहा,
कुछ बदल जाते हैं, कुछ मजबूर हो जाते हैं,
मगर उसका बस नहीं चलता मेरी वफ़ा के सामने।